Friday, April 25, 2008

प्रस्‍तावना

अगर हाथ में होती हिन्‍दुस्‍तान की बागडोर तो जो कुछ सोचता और करता वह सब लिपिबद्ध कर लोगों के सामने रखने की कोशिश है यह ब्‍लाग। मैं सोचता हूं यह हसरत आपके दिल में भी होगी तो आइये इस चर्चा को आगे बढ़ायें। हमारी कोशिश है कि हम समाधान रखें भले ही उस पर अमल हो या उसे हंसी में उड़ा दिया जाये। कुछ ज्‍यादा फर्क नहीं पड़ता उससे हमारी सेहत पर क्‍योंकि हम उन लोगों में से हैं जो समस्‍याओं पर चर्चा करने के साथ ही समाधान की दिशा में सकारात्‍मक ढंग से सोचने में भी विश्‍वास रखते हैं।
हम आरम्‍भ करते हैं भारत की निर्वाचन प्रणाली से। आगे हम जनसंख्‍या, बेरोजगारी, शिक्षा, वाणिज्‍य, गरीबी और आतंकवाद आदि अनेक अन्‍य मुद्दों पर भी आपस में चर्चा करेंगे।
सर्वप्रथम हम विचार आरम्‍भ करेंगे कि भारत को एक स्‍वस्‍थ राजनीतिक नेतृत्‍व कैसे मिले और चुनाव प्रणाली का आदर्श स्‍वरूप क्‍या हो सकता है, इस दिशा में विचार करेंगे।
फिर आइये, वर्तमान चुनाव प्रणाली पर एक नजर डालते हैं, इसकी अच्‍छाइयों और बुराइयों पर- साथ ही, उन अच्‍छाइयों और बुराइयों से निकल कर आने वाले परिणामों पर नजर डालेंगे-
1. वर्तमान चुनाव प्रणाली बहुत खर्चीली है। एक तरफ इसका बोझ अन्‍तत: जनसामान्‍य को ही उठाना पड़ता है। कुछ चंद लोग इसमें अपनी जेबें भी भर लेते हैं। दूसरी ओर, आर्थिक रूप से समृद्ध व्‍यक्ति ही चुनाव में भाग ले सकते हैं। इसके और भी पहलू हो सकते हैं... अभी सिर्फ इतना ही... आपके विचारों का इंतजार रहेगा।

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